क़लम शोर नहीं करती क़लम तो बस लिखना जानती है ! क़लम शोर नहीं करती क़लम तो बस लिखना जानती है !
कितना भी तराशो, पत्थर तो रहेगा पत्थर कहाँ बोलेगा वह कभी हंसकर या झुककर। कितना भी तराशो, पत्थर तो रहेगा पत्थर कहाँ बोलेगा वह कभी हंसकर या झुककर।
ये सफर कहाँ जा रहा है मगर गम के साये से गुजर कर मेरा मुस्कुराना मुनासिब है ! ये सफर कहाँ जा रहा है मगर गम के साये से गुजर कर मेरा मुस्कुराना मुनासिब ...
ये बात है 1983 क्रिकेट वर्ल्ड कप की, भारतीय टीम आंकी गई थी काफी कमजोर, ये बात है 1983 क्रिकेट वर्ल्ड कप की, भारतीय टीम आंकी गई थी काफी कमजोर,
न है कोई धर्म इसका न कोई है इसका मज़हब भारत की जीत ही है इसका एकमात्र मक़सद। न है कोई धर्म इसका न कोई है इसका मज़हब भारत की जीत ही है इसका एकमात्र मक़सद।
देखेंगे फिर ये दुनिया सारी देखेंगे फिर ये दुनिया सारी